ऑनलाइन के बाद ऑफलाइन ट्रेड पर केंद्र बनाएगा पाॅलिसी

नई दिल्ली। छोटी किराना दुकानों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से मुकाबला करने में मदद करने के लिए सरकार नैशनल रिटेल
फ्रेमवर्क तैयार कर रही है। योजना के तहत रिटेलर्स को वन-टाइम रजिस्ट्रेशन फीस, वर्किंग कैपिटल के लिए सॉफ्ट लोन और
इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। रिटेल से जुड़े मामले राज्य सरकार के अंतर्गत आते हैं। सभी राज्यों ने सेक्टर को लेकर अलग-अलग पॉलिसी अपना रखी है। फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री ऐंड इंटरनल ट्रेड ने राज्यों से ऐसे स्टोर की संख्या बताने को कहा है। सरकार नैशनल पॉलिसी के जरिए नियमों को आसान, समान और कम जटिल बनाने और किराना दुकानों पर कॉस्ट का भार घटाने की कोशिश कर रही है। सूत्र ने बताया कि फ्रेमवर्क में लाइफटाइम रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन एनरोलमेंट की सुविधा मुहैया कराने पर विचार किया जा रहा है। अधिकारी ने
बताया, हम छोटे दुकानदारों की परेशानियों को समझने और उनका समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं। हम उनके लिए सॉफ्ट लोन, डिजिटल पेमेंट मैकेनिज्म जैसी सुविधाओं पर भी विचार कर रहे हैं।कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेड के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक,लगभग 65 पर्सेंट स्टोर ऐसे हैं,जिनका डिजिटलीकरण नहीं हुआ है। ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ
रिटेलर्स की शिकायतों का मोर्चा ने संभाला है। इसने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर डिस्काउंट के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। हालांकि, ई-कॉमर्स फर्मों ने आरोपों को खारिज किया है। नैशनल पॉलिसी के तहत सरकार और रिटेलर ग्रुप्स के बीच राज्य को कर्ज का गारंटर बनाने पर भी चर्चा हुई है। इससे बैंकों को दुकानदारों को कम ब्याज दर पर लोन देने में मदद मिलेगी।